रात का समय था। दिनभर मेहनत करने के बाद पति-पत्नी ने खाना खाया और सोने चले गए। उनका छोटा सा घर था, लेकिन प्यार और सुकून से भरा हुआ। पति दिनभर फलों का ठेला लेकर गली-गली घूमता, मुश्किल से गुज़ारा चलता था। फिर भी दोनों अपनी ज़िंदगी में खुश रहने की कोशिश करते थे। मगर उस रात कुछ अलग था।
रात के लगभग 12:30 बजे पत्नी की नींद खुली। उसने देखा कि उसके पति की आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। वह करवटें बदल रहा था, जैसे किसी गहरी सोच में डूबा हो। पत्नी ने धीरे से पूछा,
"क्या बात है, अभी तक सोए नहीं?"
पति ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "कुछ नहीं, नींद नहीं आ रही। तुम सो जाओ, थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।"
पत्नी ने ज़्यादा सवाल नहीं किया और फिर से सोने की कोशिश करने लगी।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। करीब 2:30 बजे, पत्नी को प्यास लगी। वह पानी पीने के लिए उठी और देखा कि उसके पति अब भी जाग रहे थे, जैसे किसी बोझ से दबे हों। उसे हैरानी हुई,
"दिनभर ठेला खींचते हुए मेहनत करने वाला आदमी इस वक्त तक क्यों जाग रहा है? जरूर कोई गंभीर बात है।"
वह धीरे से बोली,
"क्या बात है जी? कोई परेशानी है क्या? आप मुझसे कुछ छुपा रहे हैं?"
पति ने बात टालने की कोशिश की, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं, बस नींद नहीं आ रही। तुम सो जाओ।"
लेकिन पत्नी का दिल मानने वाला कहां था। उसने अपने पति का हाथ अपने सिर पर रख दिया और कहा,
"मेरी कसम खाइए कि कोई टेंशन नहीं है।"
कसम के सामने पति की आंखों में छुपा दर्द छलक आया। वह बैठ गया और बोला,
"पड़ोसी से जो पैसे हमने एक साल के एग्रीमेंट पर लिए थे, वो आज रात मुझसे कह रहा था कि पैसा अभी लौटा दो। कह रहा था अगर नहीं दिए तो बहुत बुरा होगा। मैं क्या करूं? ठेला बेचकर भी पैसे का इंतजाम नहीं हो पाएगा।"
पत्नी ने सुनते ही गुस्से से कहा,
"कैसे पैसे मांग रहा है? अभी तो तीन महीने भी नहीं हुए। ये तो सीधी-सीधी धमकी है।"
पति ने सिर झुका लिया, "मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूं।"
पत्नी ने बिना वक्त गंवाए उसका हाथ पकड़ा और बोली,
"चलो मेरे साथ।"
रात के अंधेरे में, लगभग 2:30 बजे, वह अपने पति को साथ लेकर उस पड़ोसी के दरवाजे पर पहुंची। उसने जोर-जोर से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया। शोर सुनकर पूरा मोहल्ला जाग गया। पड़ोसी भी बाहर आया, हैरान होकर बोला,
"क्या हुआ? इस वक्त दरवाजा क्यों पीट रही हो?"
पत्नी का गुस्सा अब उफान पर था। वह बोली,
"सुनिए भाई साहब, हमने आपसे पैसा एक साल के एग्रीमेंट पर लिया था। आप मेरे पति को धमकाते हैं कि पैसा अभी लौटाओ, वरना बहुत बुरा होगा। तो सुन लीजिए, एक साल से पहले हम एक रुपया भी नहीं देंगे। आप जो करना चाहें, कर लीजिए। कानून हमारे साथ है।"
पड़ोसी हक्का-बक्का रह गया। वह कोई जवाब नहीं दे पाया। पत्नी ने अपने पति का हाथ पकड़ा और घर लौट आई। घर आते ही बोली,
"अब आप चैन से सो जाइए। अब वह जागेगा, आपको परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा।"
पति ने पत्नी की ओर देखा, उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन दिल में सुकून था। उसे एहसास हुआ कि उसके साथ एक ऐसी जीवनसाथी है जो हर मुश्किल में उसके साथ खड़ी रहेगी, चाहे हालात कितने ही बुरे क्यों न हों।
कहते हैं, जब बात अपने पति और बच्चों की आती है तो औरत हर हद पार कर सकती है। वह चुप रहती है जब तक सह सकती है, लेकिन जब अपने परिवार की सुरक्षा की बात आती है, तो किसी से भी लड़ने में पीछे नहीं हटती। उस रात उसने साबित कर दिया कि कभी-कभी डर के आगे झुकना नहीं, बल्कि जैसे को तैसा जवाब देना जरूरी होता है।
उस रात पति ने पहली बार सचमुच सुकून की नींद सोई, क्योंकि उसे मालूम था कि उसकी सबसे बड़ी ताकत उसकी पत्नी है।
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