एक बेटी और पिता की अधूरी दास्तान

 

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पूनम ने अपनी पसंद से शादी की और उसी खुशी के साथ अपने पापा के पास आई। उसने हिम्मत जुटाकर कहा –

"पापा, मैंने अपने मनचाहे लड़के से शादी कर ली है।"

पापा गुस्से में थे, लेकिन भीतर से बहुत सुलझे हुए इंसान भी। उन्होंने बिना कुछ और कहे बस इतना ही कहा –
"मेरे घर से निकल जाओ।"

बेटी ने विनती की –
"अभी मेरे पति के पास कोई काम नहीं है, हमें यहीं रहने दीजिए।"
पर पापा अपने फैसले पर अडिग रहे और उसे घर से निकाल दिया।


समय बीतता गया। पापा इस दुनिया से चले गए और पूनम का पति भी उसे धोखा देकर भाग गया। अब पूनम अपने बच्चों – एक बेटा और एक बेटी – के साथ खुद का रेस्टोरेंट चलाकर जिंदगी काट रही थी।

जब उसे पापा के न रहने की खबर मिली, तो मन में कड़वाहट उभर आई –
"अच्छा हुआ, घर से निकाल दिया था, दर-दर भटकने दिया। अब उनकी अंतिम यात्रा में क्यों जाऊं?"

पर उसके ताऊजी ने समझाया –
"बेटी, जो चला गया, उसके साथ दुश्मनी कैसी?"

मन में भारीपन के बावजूद पूनम पिता के घर पहुंची। वहां सब रो रहे थे, पर वह चुपचाप किनारे खड़ी रही। तेरहवीं के दिन ताऊजी ने उसके हाथ में एक खत थमाया और कहा –
"ये तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए छोड़ा है, ज़रूर पढ़ना।"


रात को उसने खत खोला। उसमें लिखा था –

"मेरी प्यारी गुड़िया,
मुझे पता है, तुम मुझसे नाराज हो। मैंने तुम्हें घर से निकाल दिया था, लेकिन यकीन मानो, उस दिन से मैं हर रोज़ टूटता रहा।"

खत में पापा ने उसके बचपन की यादें लिखी थीं –

  • कैसे मां के जाने के बाद उन्होंने अकेले उसे पाला।

  • कैसे स्कूल के दिनों में खिड़की से खड़े होकर उसका इंतजार करते।

  • कैसे बुखार में सारी रात जागकर उसे हंसाते।

  • कैसे समाज का सामना करके भी उसकी खुशी के लिए खड़े रहते।

फिर उन्होंने लिखा –
"जब तुमने बिना बताए उस लड़के से शादी कर ली, तो मैं टूट गया। मैंने पता लगाया था कि वह अच्छा इंसान नहीं है, लेकिन तुम प्रेम में अंधी थी। मेरे अरमान थे कि तुम्हारी शादी धूमधाम से करूं, पर सब बिखर गया।"

खत के आख़िरी हिस्से में लिखा था –
**"मेरी गुड़िया, अलमारी में तुम्हारी मां के गहने और कुछ ज़मीन-जायदाद तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम है। तुम्हें यह जानना ज़रूरी है कि मैंने तुम्हें कभी दुश्मन नहीं समझा। मैंने दूसरी शादी भी इसलिए नहीं की कि तुम्हें किसी तरह की तकलीफ न हो।

जिस दिन तुम शादी करके लौटी थी, उस दिन तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था। अब तुम खुद मां हो, इसलिए औलाद का दर्द समझ सकती हो। बस मुझे माफ़ कर देना।
तुम्हारा पापा।"**

खत के साथ बचपन की एक ड्राइंग भी थी, जिसमें लिखा था –
"I Love You मेरे पापा"।


ताऊजी ने आकर सच्चाई बताई –
"पूनम, तुम्हारे रेस्टोरेंट और घर के पैसे तुम्हारे पापा ने ही दिलवाए थे। मां-बाप औलाद से चाहे कितने भी नाराज हों, फिक्र करना कभी नहीं छोड़ते।"

उस पल पूनम की आंखों से आंसू बह निकले।


सीख

लव मैरिज गलत नहीं है। पर अगर इसमें माता-पिता को शामिल कर लिया जाए, तो जीवन आसान हो जाता है। पत्थर से पानी निकल सकता है, फिर मां-बाप का दिल कब तक नहीं पिघलेगा?

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