1. पूजा पूर्व तैयारी
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दिन में घर की पूरी सफाई एवं पवित्रता ज़रूरी है।
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पूजा स्थल (घर की पूजा कोठरी या अलमारी) को सजाएँ — साफ कपड़ा बिछाएँ, लाल या षड्रंगी वस्त्र रखें।
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मिट्टी/मेटल की दीपकें, मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पुष्प, रोली, चंदन, नैवैद्य (भोग), फल, मिठाई, हल्दी, अक्षत् (चावल) आदि इकठ्ठे करें।
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पूजा की शुरुआत में Ganapati पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है — ताकि सभी कार्य सफल हों।
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अगर संभव हो तो थोड़ी देर धूप-दीप (धुना) करके घर को ऊर्जा-शुद्धि दी जाए।
2. गणपति एवं कुबेर की पूजा
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सबसे पहले गणपति जी की स्थापना करें और उनके सामने पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शर्करा) चढ़ाएँ।
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मंत्रोच्चार: “ॐ गम गणपतये नमः” आदि।
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फिर कुबेर जी को बुलाएँ — वह धन के स्वामी हैं। उनके लिए भी दीप और नैवैद्य लगाएँ।
3. लक्ष्मी पूजा विधि
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पूजा का शुभ समय (मुहूर्त) प्रातरेक रूप से प्रादोष काल में रखा जाता है। इसमें शाम काल का प्रादोष विशेष महत्व रखता है।
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2025 में संभावित लक्ष्मी पूजा मुहूर्त करीब 7:08 PM — 8:18 PM (IST) तक बताया गया है।
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कुछ पंडितों के अनुसार यह मुहूर्त 7:40 PM — 8:29 PM भी हो सकता है, जो स्थानीय पंचांग पर निर्भर करेगा।
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इस समयावधि में पूजन करना सर्वोत्तम माना जाता है।
पूजा क्रम:
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दीप प्रज्वलन: पूजा स्थल में दीये जलाएँ — पहले गणपति, फिर कुबेर, अंत में लक्ष्मी।
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अर्घ्य (जल अर्पण) करें — पवित्र जल, घी या पुष्पों से।
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रोली, कुमकुम, हल्दी, अक्षत चढ़ाएँ।
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नैवैद्य (फल, मिठाई, नरिया, सुपारी आदि) चढ़ाएँ।
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फूल तथा धूप-दीप अर्पित करें।
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मंत्रोच्चार:
- “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”
- अथवा “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः”
- गणपति मंत्र: “ॐ गम गणपतये नमः” -
आरती करें — लक्ष्मी और गणपति की।
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भंडारा / प्रसाद बाँटें।
4. दीपनों का महत्त्व एवं अन्य अनुष्ठान
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पूजा के बाद घर-आँगन में दीये और लाइटें लगाएँ — अंधकार को दूर करने का प्रतीक।
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प्रत्येक कमरे, प्रवेश द्वारों एवं छत्तों तक दीपावली की रौनक फैलाएँ।
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अगर परंपरा हो तो हुक्का पाती जैसे स्थानीय रीति-रिवाज (विशेषकर मिथिला क्षेत्र में) भी किया जाता है — जहां दीप के प्रकाश से सभी दीयों में प्रकाश बांटा जाता है।
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प्रकाश तर्पण — यदि परंपरा हो, तो दिवाली की रात पितरों को प्रकाश अर्पित करें।
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उपरांत सभी सदस्य मिलकर आशीर्वाद लें, मिठाइयाँ बाँटें और परिवार-समाधानों में सौहार्द बढ़ाएँ।
5. अन्य दिन विशेष अनुष्ठान
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नरक चतुर्दशी की सुबह स्नान करें, बुरी शक्तियों का नाश करने का प्रतीक।
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गोवर्धन पूजा (दिन 4) में गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाई जाती है और अन्नकूट बनाया जाता है।
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भाई दूज के दिन बहनें भाई की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं, और भाई उपहार देते हैं।
पूजा के समय (मुहूर्त) और सावधानियाँ
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जैसा कि बताया गया है, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 7:08 PM — 8:18 PM का एक आम सुझाव है (इस समयावधि में पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है)।
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पूजा का समय प्रादोष काल (संध्याकाल) के दौरान रखा जाता है — यह सूर्यास्त के बाद की अवधि होती है, जब शाम और रात का मिलन समय है।
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स्थानीय समय (आपके शहर का) देखना आवश्यक है क्योंकि मुहूर्त शहर दर शहर थोड़ा बदल सकता है।
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पूजा शुरू करते समय सर्वप्रथम शुद्धता, साफ-सफाई और सक्रम भाव होना चाहिए।
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यदि इस मुहूर्त समय में पूरा पूजा न हो सके, तो जितना हो सके पूजा प्रारंभ करें — अन्य शुभ मुहूर्त भी पंडित द्वारा बताए जाएंगे।
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पूजा के दौरान ध्यान रखें कि मंत्रों उच्चारण, समर्पण की भावना और श्रद्धा हो।
निष्कर्ष एवं सुझाव
दीवाली 2025 का पर्व न केवल आलोक और रोशनी का त्योहार है, बल्कि यह आध्यात्मिकता, संबंधों और योग्य आराधना का दिन है। इस वर्ष की पूजा विधि को यदि आप श्रद्धापूर्वक अपनाते हैं — सही समय पर, शुद्ध मन से, और परिवार के साथ मिलकर — तो यह आपके जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य ला सकती है।
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