सर्दियों की एक कड़कड़ाती ठंडी सुबह थी, लगभग चार बजे का वक्त था। पूरा शहर नींद में डूबा था, लेकिन कचरे के एक बड़े ढेर के पास हलचल की एक छोटी सी आवाज़ ने किसी की नींद तोड़ दी थी। वो कोई और नहीं, एक वफादार कुत्ता था, जिसकी नज़र उस अजीब सी हरकत पर पड़ी। उसकी जिज्ञासा उसे वहां ले आई।
ढेर के नीचे एक मैली और फटी चद्दर पड़ी थी, जिसके नीचे से कुछ हलचल हो रही थी। कुत्ते ने धीरे-धीरे अपनी नाक से चद्दर हटा दी, और सामने उसने एक नन्हा सा नवजात बच्चा देखा। ठंड से कांपता, पूरी तरह नंगा-नगना, जैसे कोई उसे छोड़कर चला गया हो।
कुत्ते की आंखों में सहानुभूति और चिंता साफ झलक रही थी। वह बच्चे के पास कुछ कदम पीछे हट गया, जैसे मानो कह रहा हो — “डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
कई मिनट गुज़रे, बच्चे की हल्की-हल्की रुनझुनाती आवाज़ ने कुत्ते को फिर से जगाया। तभी एक छोटी सी चालाक चूहा बच्चे की ओर बढ़ने लगा। बच्चे की कमजोर सी चीखें उस चूहे को रोक नहीं पा रहीं थीं, लेकिन वह डर भी रहा था। कुत्ता फुर्ती से बच्चे के पास पहुंचा, गहरी भौंक लगाई और चूहे को वहाँ से भागने को मजबूर कर दिया।
लेकिन मुसीबत यहीं खत्म नहीं हुई थी। सूरज उगने ही वाला था, तभी एक झुंड सूअरों का कचरे की ओर आने लगा। 5-6 भूखे सूअर, जो कुछ भी देख रहे थे, उसे अपना शिकार समझते थे। बच्चे की हल्की सी आवाज़ उन्हें बच्चे की ओर खींच रही थी। कुत्ते ने अपनी पूरी ताकत से भौंकते हुए सूअरों को रोका। उसका दिल धड़क रहा था, लेकिन वह हिम्मत नहीं हार रहा था। अकेला ही सही, उसने बच्चों की रक्षा की जिम्मेदारी उठाई थी।
जब वह सोच रहा था कि शायद अब सब ठीक हो जाएगा, तभी कुछ नादान युवक वहां आए। बिना समझे कि क्या चल रहा है, उन्होंने कुत्ते की तरफ पत्थर फेंक दिया। पत्थर उसके पैरों पर लगा, और वह दर्द से कराह उठा। लेकिन उसके दिल का दर्द, उस बच्चे की रक्षा करते हुए टूटने वाला था।
युवकों की इस बेरुखी से कुत्ते की भौंकने की आवाज़ और तेज़ हो गई। फिर दो और कुत्ते भी आए, और सूअर भयभीत होकर वहाँ से चले गए। पुलिस भी आई, बच्चे को अस्पताल ले गई।
कुत्ता दूर बैठा, घायल पैर को चाटते हुए सब कुछ देख रहा था। उसकी आँखों में थकान नहीं, बल्कि उम्मीद की एक किरण थी।
अगले दिन अखबारों में headline आई —
“दो युवकों ने तीन खूंखार कुत्तों से नवजात बच्चे को बचाया।”
लेकिन सच क्या था? क्या गलती इंसानों की थी या उन्होंने ही असली हीरो की पहचान छुपा दी?
एक कुत्ता, जो बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी पुरस्कार के, बस अपने दिल की आवाज़ सुनकर उस नन्हे मासूम की रक्षा कर रहा था। जो इंसानों के लिए सिर्फ ‘जानवर’ था, लेकिन उस बच्चे के लिए भगवान था।
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