नेपाल, जो हिमालय की गोद में बसा एक सुंदर और शांति प्रिय देश माना जाता है, आज 2025 में गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। सड़कों पर युवाओं का गुस्सा, राजधानी काठमांडू से लेकर ग्रामीण इलाकों तक फैले प्रदर्शन और लगातार बदलती सरकारें यह संकेत दे रही हैं कि देश स्थिरता से बहुत दूर है।
असंतोष की जड़ें
नेपाल की राजनीति लंबे समय से अस्थिर रही है। राजशाही से गणतंत्र बनने की यात्रा ने जनता में नई उम्मीदें जगाईं, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और बार-बार सरकार गिरने की घटनाओं ने जनता को निराश कर दिया। शिक्षा और रोजगार के अभाव, आर्थिक अवसरों की कमी और महँगाई ने युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। यही कारण है कि वे सड़कों पर उतरकर बदलाव की माँग कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर रोक और युवाओं का गुस्सा
2025 की सबसे बड़ी घटना सरकार का सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाना रहा। सरकार का दावा था कि इससे अफवाहें और नफरत फैलाने वाली सामग्री रोकी जाएगी, लेकिन आम नागरिकों और खासतौर पर युवाओं ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। नतीजतन, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और हिंसक रूप ले लिया।
सत्ता पर संकट
सरकार की ओर से कठोर कदम उठाने, कर्फ्यू लगाने और सुरक्षा बलों की कार्रवाई से हालात और बिगड़े। कई जगह सरकारी भवनों पर हमले हुए, वाहनों और बाजारों को आग के हवाले किया गया। इस उग्र माहौल ने प्रधानमंत्री की कुर्सी तक हिला दी और सत्ता परिवर्तन की स्थिति पैदा कर दी। बार-बार बदलती सरकारों और अस्थिर गठबंधनों ने जनता का भरोसा खो दिया है।
राजशाही बनाम लोकतंत्र की बहस
नेपाल में एक और बड़ा विभाजन उन लोगों के बीच है जो पुरानी राजशाही को वापस लाना चाहते हैं और उन लोगों के बीच जो लोकतंत्र को बचाए रखना चाहते हैं। राजशाही समर्थकों का मानना है कि पुराने समय में भले ही शासन सीमित था, लेकिन व्यवस्था स्थिर थी। वहीं, लोकतंत्र समर्थकों का कहना है कि सभी कठिनाइयों के बावजूद जनता को अधिकार मिलना ही असली उपलब्धि है। यह टकराव समाज में और तनाव पैदा कर रहा है।
2025 की राजनीतिक स्थिति
आज की तारीख में नेपाल का राजनीतिक परिदृश्य बेहद धुंधला है। युवा वर्ग खुलकर नेतृत्व की माँग कर रहा है और भ्रष्टाचार-मुक्त राजनीति चाहता है। पारंपरिक पार्टियाँ जनता का विश्वास खो चुकी हैं और नए चेहरे उभरने लगे हैं। सेना और सुरक्षा बल हालात काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर मोर्चे पर असंतोष बढ़ता जा रहा है।
आगे का रास्ता
नेपाल को स्थिरता दिलाने के लिए जरूरी है कि राजनीतिक दल आपसी झगड़ों से ऊपर उठकर देशहित में फैसले लें। युवाओं की आवाज को दबाने के बजाय उनके सुझावों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करना होगा। आर्थिक अवसर, शिक्षा और रोजगार सृजन पर जोर देना होगा, तभी हिंसा और अस्थिरता की आग को शांत किया जा सकेगा।
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