भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष स्थान है। भगवान शिव को संहारक और पुनर्निर्माणकर्ता माना जाता है, जबकि पार्वती माता को शक्ति, करुणा और मातृत्व की देवी के रूप में पूजा जाता है। शिव और पार्वती का मिलन केवल पति-पत्नी का संबंध नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांड में शक्ति और शिव के अद्वैत सिद्धांत का प्रतीक है।
भगवान शिव का स्वरूप
भगवान शिव को "महादेव" कहा जाता है। उनका स्वरूप अद्वितीय है – जटाओं में गंगा का वास, मस्तक पर अर्धचंद्र, गले में सर्प और शरीर पर भस्म का लेप। वे कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं और त्रिशूल तथा डमरू उनके प्रमुख आयुध हैं। शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों से शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देते हैं।
पार्वती माता का स्वरूप
पार्वती माता, जिन्हें शक्ति, दुर्गा और गौरी भी कहा जाता है, स्त्री शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे हिमालयराज की पुत्री हैं और तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। पार्वती को करुणा, प्रेम और धैर्य की देवी माना जाता है। वे अपने भक्तों को संतान सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करती हैं।
शिव और पार्वती का विवाह
हिंदू धर्म में शिव-पार्वती का विवाह अत्यंत पवित्र माना जाता है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। उनके अटूट संकल्प और तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें स्वीकार किया। उनका विवाह शक्ति और शिव के मिलन का प्रतीक है, जो संसार की सृष्टि और संतुलन बनाए रखता है।
शिव और पार्वती से जुड़े प्रमुख अनुष्ठान
1. महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने से शिव-पार्वती दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
2. सावन मास
सावन का महीना शिव उपासना के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस पूरे महीने शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। सोमवार का व्रत विशेष रूप से शिव-पार्वती के आशीर्वाद हेतु माना जाता है। विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और अविवाहित कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं।
3. हरतालिका तीज
यह व्रत विशेष रूप से स्त्रियाँ करती हैं। माता पार्वती ने इसी दिन घोर तपस्या करके शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए स्त्रियाँ यह व्रत करके शिव-पार्वती से अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद लेती हैं।
4. सोमवारी व्रत
सोमवार का दिन शिवजी को प्रिय है। भक्त इस दिन उपवास करके शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और बेलपत्र चढ़ाते हैं। माना जाता है कि सोमवार का व्रत करने से शिव-पार्वती दोनों की कृपा बनी रहती है।
5. शिवलिंग पूजा
शिवलिंग शिव का प्रतीक स्वरूप है। शिवलिंग पर स्नान कराना, जलाभिषेक, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक, बेलपत्र और आक-धतूरा अर्पित करना शिव-पार्वती को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय है।
भगवान शिव और पार्वती की कृपा कैसे प्राप्त करें
श्रद्धा और भक्ति – शिव और पार्वती की कृपा पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है शुद्ध मन और श्रद्धा। वे भोलेनाथ हैं और केवल सच्चे भाव से किए गए स्मरण पर प्रसन्न हो जाते हैं।
मंत्रजप – शिव के बीज मंत्र ॐ नमः शिवाय और पार्वती के मंत्र ॐ पार्वत्यै नमः का नियमित जप करने से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।पूजा और अभिषेक – रोज सुबह या सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अभिषेक करते समय ॐ नमः शिवाय का जप करें।
साधना और ध्यान – शिव और शक्ति का ध्यान मन को शांति और शक्ति देता है। ध्यान करते समय शिव-पार्वती के स्वरूप का चिंतन करने से मानसिक संतुलन और आत्मबल मिलता है।
व्रत और उपवास – महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और हरतालिका तीज जैसे व्रत करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
दान और सेवा – शिव को भस्म और साधु-संत प्रिय हैं। गरीबों की सेवा, अन्नदान और गौसेवा करने से भी शिव-पार्वती की विशेष कृपा मिलती है।
सदाचार – शिव और पार्वती की कृपा पाने का सर्वोत्तम मार्ग है धर्म और सदाचार का पालन। सत्य, अहिंसा, संयम और दया का जीवन जीने वाला भक्त निश्चित ही महादेव और माता पार्वती का प्रिय बनता है।
शिव-पार्वती उपासना का महत्व
शिव और पार्वती की संयुक्त पूजा से जीवन में संतुलन आता है। शिव हमें धैर्य, ज्ञान और वैराग्य का संदेश देते हैं, जबकि पार्वती माता करुणा, प्रेम और शक्ति का। इन दोनों की आराधना से भक्त को सांसारिक सुख के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है।
विवाहित जीवन में सुख और समृद्धि के लिए पति-पत्नी साथ में शिव-पार्वती की पूजा करें। यह दांपत्य जीवन में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखता है। अविवाहित युवक-युवतियाँ यदि पूरे मन से शिव-पार्वती की उपासना करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव और माता पार्वती केवल देवता नहीं, बल्कि जीवन के गहरे दर्शन के प्रतीक हैं। शिव त्याग, ध्यान और आंतरिक शांति का मार्ग दिखाते हैं, जबकि पार्वती प्रेम, शक्ति और मातृत्व का। उनके आशीर्वाद से भक्त जीवन की कठिनाइयों को सहजता से पार करता है। नियमित रूप से मंत्रजप, व्रत, अभिषेक, और ध्यान करने से शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
अतः यदि हम श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करें, तो वे हमारे जीवन से दुख, भय और अशांति को दूर कर सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
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