बादशाह अकबर के शानदार दरबार में रोज़ की तरह कार्यवाही चल रही थी। दरबारियों की भीड़ के बीच अचानक एक दरबारी हाथ में शीशे का मर्तबान लिए आगे आया। बादशाह की नजर उस पर पड़ी, तो उन्होंने गंभीर स्वर में पूछा, ‘‘क्या है इस मर्तबान में?’’
दरबारी ने विनम्रता से झुककर कहा, ‘‘हुजूर, इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है।’’
अकबर ने हैरानी से फिर पूछा, ‘‘और इसका क्या उद्देश्य है?’’
दरबारी बोला, ‘‘जहांपनाह, हम बीरबल की बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेना चाहते हैं। हम देखना चाहते हैं कि क्या वह बिना पानी का उपयोग किए रेत से चीनी को दाना-दाना अलग कर सकते हैं।’’
अकबर ने हल्की मुस्कान के साथ बीरबल की ओर देखा, ‘‘देख रहे हो बीरबल, तुम्हें हर दिन एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है। इस बार तुम्हें रेत में मिली चीनी को बिना पानी में घोलें अलग करना है।’’
बीरबल ने अपनी चिर-परिचित आत्मविश्वासी शैली में कहा, ‘‘कोई चिंता नहीं बादशाह सलामत, यह तो मेरे लिए बहुत आसान कार्य है।’’
इतना कहकर बीरबल ने मर्तबान उठाया और दरबार से बाहर निकल पड़े। उत्सुक दरबारी उनके पीछे-पीछे चल पड़े ताकि यह देख सकें कि बीरबल इस अनोखी समस्या का समाधान कैसे करेंगे।
बीरबल बाग में पहुंचे और एक बड़े आम के पेड़ के पास रुककर मर्तबान का सारा मिश्रण पेड़ के चारों ओर फैला दिया।
एक दरबारी आश्चर्य से चिल्लाया, ‘‘अरे बीरबल! यह आप क्या कर रहे हैं?’’
बीरबल मुस्कराए और बोले, ‘‘इसका उत्तर आपको कल मिल जाएगा।’’
अगले दिन सभी दरबारी उत्सुकता से उस पेड़ के पास पहुंचे। वहां का दृश्य देखकर सब दंग रह गए। पूरे स्थान पर केवल रेत पड़ी थी, जबकि चीनी का एक भी दाना दिखाई नहीं दे रहा था। चीनी की मिठास से आकर्षित होकर चींटियां सारी चीनी रातभर में अपने बिलों में ले गई थीं।
कुछ चींटियां अभी भी छोटे-छोटे दाने घसीटते हुए दिख रही थीं।
एक दरबारी चकित होकर बोला, ‘‘लेकिन बीरबल, सारी चीनी कहां गायब हो गई?’’
बीरबल ने उसके कान के पास जाकर धीमे से कहा, ‘‘रेत से अलग हो गई।’’
यह सुनकर सब खिलखिला कर हंस पड़े।
जब बादशाह अकबर को इस अनोखे समाधान की खबर मिली, तो वे मुस्कराते हुए बोले, ‘‘अब अगर तुम्हें चीनी ढूंढ़नी है तो तुम्हें चींटियों के बिल में झांकना पड़ेगा।’’
पूरा दरबार तालियों और ठहाकों से गूंज उठा। हर कोई बीरबल की बुद्धिमानी की सराहना कर रहा था।
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हर समस्या का समाधान ताकत या जटिल उपायों से नहीं, बल्कि चतुराई और सूझबूझ से भी किया जा सकता है।
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