तीन सूत्रों वाली चिड़िया – बच्चों और बड़ों के लिए प्रेरणादायक कहानी

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एक बार की बात है, एक आदमी जंगल में घूम रहा था। चलते-चलते उसकी नजर एक बूढ़े पक्षी पर पड़ी। वह थका-हारा, जर्जर सा पक्षी उसकी पकड़ में आ गया। आदमी ने सोचा—“यह काम का नहीं है, न इसकी आवाज में मिठास है, न इसे बेचकर कुछ मिलेगा।”

पक्षी ने जैसे उसके मन की बात पढ़ ली और बोला,
“मुझे अपने पास रखकर तुम्हें कुछ लाभ नहीं होगा। पर यदि तुम मुझे छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हें जीवन के तीन गहरे सूत्र बता सकता हूं।”

आदमी संदेह में पड़ गया—“अगर छोड़ दूं और तुमने कुछ न बताया तो?”

पक्षी ने मुस्कुराकर कहा,
“पहला सूत्र मैं तुम्हें अभी, तुम्हारे हाथ पर बैठे-बैठे बता दूंगा। दूसरा सूत्र मैं वृक्ष की शाख पर बैठकर बताऊंगा। और तीसरा सूत्र तब मिलेगा जब मैं आकाश में उड़ जाऊंगा।”

आदमी ने सोचा, सचमुच यह पक्षी किसी काम का तो है नहीं। उसने सौदा मान लिया।
पक्षी बोला,
“पहला सूत्र है—जो बीत गया, उसे भूल जाओ। मैंने देखा है, जो लोग अतीत में अटके रहते हैं, वे दुखी हो जाते हैं। और जो वर्तमान में जीना सीख लेते हैं, वे हमेशा प्रसन्न रहते हैं।”

बात आदमी के दिल को छू गई। उसने पक्षी को छोड़ दिया।
अब पक्षी पास के एक पेड़ की शाख पर जाकर बैठा और दूसरा सूत्र बताया:
“कभी भी ऐसी बात पर विश्वास मत करना जो तर्क और सामान्य बुद्धि के खिलाफ हो। क्योंकि ऐसा विश्वास इंसान को भटका देता है।”

आदमी सिर हिलाता रहा। तभी पक्षी आकाश में उड़ गया और उड़ते-उड़ते शरारत से बोला,
“एक बात और बताऊं—यह कोई सूत्र नहीं, सिर्फ खबर है। मेरे शरीर में दो अनमोल हीरे छुपे थे। अगर तुम मुझे मार देते तो आज अरबपति होते!”

यह सुनते ही आदमी का दिल टूट गया। उसका चेहरा उतर गया। अफसोस, पछतावा और निराशा ने उसे घेर लिया। उसने कांपती आवाज़ में पुकारा,
“ठहरो! कम से कम तीसरा सूत्र तो बता दो।”

पक्षी ने ठहाका लगाया और बोला,
“अब तीसरे सूत्र की कोई जरूरत नहीं। क्योंकि पहले दो ही तुमने नहीं समझे। मैंने कहा था—बीते को भूल जाओ, पर तुम अभी भी पछता रहे हो कि तुमने मुझे क्यों छोड़ा। मैंने कहा था—तर्कविहीन बातों पर विश्वास मत करो, पर तुमने यह मान लिया कि एक छोटे से पक्षी के शरीर में हीरे हो सकते हैं।”

फिर उसकी आवाज आसमान में गूंज उठी—
“तीसरा सूत्र समझने का अधिकार उसी को है जो पहले दो पर अमल करे। पर फिर भी सुन लो—शरीर नश्वर है, इसलिए भौतिक वस्तुओं के पीछे भागने का कोई अर्थ नहीं। जो चीज नाशवान है, वह कभी स्थायी सुख नहीं दे सकती।”

यह कहकर वह दूर आकाश में खो गया। आदमी बहुत देर तक वहीं खड़ा रह गया, पर उसके दिल में अब तीनों सूत्र गहरे उतर चुके थे।

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